Jul 30, 2024, 23:45 IST

54वें अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड में जेईई एडवांस्ड टॉपर इंदौर के वेद लाहोटी ने जीता स्वर्ण पदक

54वें अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड में जेईई एडवांस्ड टॉपर इंदौर के वेद लाहोटी ने जीता स्वर्ण पदक

इंदौर
मध्य प्रदेश के इंदौर के वेद लाहोटी और छत्तीसगढ़ के रायपुर के रिदम केडिया ने फिजिक्स ओलंपियाड स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। ईरान के इस्फहान में आयोजित 54वें अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड 2024 में भारतीय छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया। 21 से 29 जुलाई तक चली प्रतियोगिता भारतीय टीम ने दो स्वर्ण पदक और तीन रजत पदक जीते।

चौथे स्थान पर रहा भारत
रजत पदक पाने वाले छात्रों में महाराष्ट्र के नागपुर के आकर्ष राज सहाय, उत्तर प्रदेश के नोएडा के भव्य तिवारी, और राजस्थान के कोटा के जयवीर सिंह शामिल हैं। भारत ने वियतनाम के साथ संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर अपना स्थान बनाया, जबकि चीन ने पहले, रूस ने दूसरे और रोमानिया ने तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया।

जेईई एडवांस्ड 2024 के टॉपर हैं वेद लाहोटी
रायपुर के रिदम केडिया और इंदौर के वेद लाहोटी ने फिजिक्स ओलंपियाड स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। वेद लाहोटी एंट्रेंस जेईई एडवांस्ड 2024 के टॉपर हैं। आईआईटी दिल्ली जोन के वेट लाहोटी ने 360 में से 355 अंकों के साथ आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम में टॉप किया था। वेद लाहोटी इंदौर के रहने वाले हैं, उन्होंने कोटा में रहकर एग्जाम की तैयारी की थी। वेद का ननिहाल भी इंदौर में ही है। वेद ने छठवीं से 10वीं की पढ़ाई इंदौर के निजी स्कूल में की थी। इससे पहले वेद ने इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में स्वर्ण पदक भी जीता था।

1967 से आयोजित की जा रही है प्रतियोगिता
IPhO की स्थापना 1967 में पोलैंड में हुई थी और यह अब 80 से अधिक देशों में आयोजित होती है, हर साल एक अलग देश मेजबानी करता है। प्रतियोगिता में 43 देशों के 193 छात्रों ने भाग लिया। कुल 18 स्वर्ण, 35 रजत, और 53 कांस्य पदक वितरित किए गए।

फिजिक्स से जुडे़े ये सावाल थे
भारतीय दल का नेतृत्व प्रो. दीपक गर्ग (डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़) और डॉ. शिरीष पठारे ने किया, जबकि प्रो. ए. सी. बियाणी और प्रो. विवेक भिडे वैज्ञानिक पर्यवेक्षक थे। प्रतियोगिता में 5 घंटे की सैद्धांतिक परीक्षा में ग्लोबल वार्मिंग, 'पॉल ट्रैप', और बाइनरी स्टार सिस्टम पर आधारित सवाल शामिल थे, जबकि प्रायोगिक परीक्षा में तांबे की छड़ के माध्यम से ऊष्मा चालन और फेज स्टेप्स से विवर्तन पर काम किया गया।