छिड़ सकता है असली और बाहरी भाजपाई का विवाद
भोपाल। पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में कांग्रेसियों ने भाजपा का दामन थामा है। इनमें से कुछ कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी थे, कुछ जिलाध्यक्ष तो कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ता। जब ये कांग्रेस में थे तो इनकी वहां धाक थी। लेकिन अपनी उपेक्षा का आरोप लगाकर इन्होंने हाथ का साथ छोडक़र कमल थाम लिया है। अब इन नेताओं को पद और प्रतिष्ठा का इंतजार है। गौरतलब है की राजनीति में बिना पद के प्रतिष्ठा नहीं मिलती है। इसलिए कांग्रेस से भाजपा में आए पदाधिकारी सियासी पुनर्वास की कोशिश में लगे हुए हैं। उधर, भाजपा के मूल कार्यकर्ता इस कोशिश में लगे हुए हैं कि पहले हमें स्थान दिया जाए। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि असली और बाहरी भाजपाईयों में वर्चस्व की जंग छिड़ सकती है।
गौरतलब है कि नई सरकार के गठन के बाद से कांग्रेस ने नेता बड़ी संख्या में भाजपा में शामिल हुए हैं। कांग्रेस से थोक में भाजपा ज्वाइन करने वाले नेताओं को अब लोकसभा चुनाव परिणाम आने का इंतजार है। चार जून के बाद प्रदेश में सियासत नए समीकरण बनना तय है। कांग्रेस में लंबा समय काटकर भाजपा में आए कई नेताओं को अब अपने राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार है। हालांकि इन नेताओं का कहना है कि वे किसी शर्त के साथ भाजपा में नहीं आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर भाजपा का दामन थामा है पर इसके इतर कुछ नेता अभी से अपने राजनीतिक पुनर्वास के लिए सक्रिय हो गए हैं।
लगातार कांग्रेस छोड़ रहे नेता
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के बाद से नेताओं का कांग्रेस छोडऩे का जो सिलसिला शुरू हुआ वह चुनाव के दौरान भी थम नहीं रहा है। प्रदेश में तीन चरणों का चुनाव हो चुका है। अब केवल आठ सीटों पर 13 मई को आठ सीटों पर मतदान होना है। नतीजे चार जून को आना है। इसके बाद चुनाव आचार सहिंता भी समाप्त हो जाएगी। चुनाव परिणामों के बाद की रणनीति संगठन ने अभी से बनाना शुरू कर दी है। कांग्रेस के नेताओं के पुनर्वास को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता कांग्रेस से आने वाले नेताओं के एकदम से राजनीतिक पुनर्वास की बात को नकार चुके है। ग्वालियर अंचल में कार्यकर्ताओ की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह साफ कर चुके है कि पहले ध्यान मूल कार्यकर्ता का ही रखा जाएगा। वहीं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित दल है। यह विचार परिवार है और यहां आने वाले को पार्टी के विचार के साथ चलना पड़ता है। हम सामूहिक नेतृत्व से आगे बढ़ते है। पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह भी कह चुके है कि कार्यकर्ताओ को हमेशा से ही महत्व देती आई है।
छह जून को तैयार होगा पुनर्वास का खाका
4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आएंगे। उसके बाद सत्ता और संगठन में बदलाव और नेताओं के पुनर्वास का खाका तैयार किया जाएगा। संगठन सूत्रों की माने तो पार्टी की बड़ी बैठक छह जून को बुलाई गई है। इस बैठक में सभी सांसदों, विधायकों को भी बुलाया गया है। इसके बाद पार्टी अगले तीन महीने के नए कार्यक्रम भी तय करेगी। संगठन यह भी तय करेगा कि कांग्रेस से भाजपा में आए कुछ सीनियर नेताओं को कहां और कैसे एडजस्ट किया जाए। वहीं इन नेताओं के भाजपा में आने से पार्टी का मूल कार्यकर्ता चिंता में है। उसे अपने सियासी भविष्य की चिंता हो रही है। कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओ से सबसे बड़ा नाम पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का है। पचौरी के साथ कई पूर्व विधायक भी भाजपा में आए है। इनमे संजय शुक्ला, विशाल पटेल, अर्जुन पलिया जैसे नेता शामिल है। वही पूर्व सांसद गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी, छतर सिंह दरबार ने भी लंबे समय बाद कांग्रेस को अलविदा कहा है। इसके अलावा बसपा से रामलखन सिंह ने भी विदाई ले ली। पूर्व विधायको में विदिशा के शशांक भार्गव, नीलेश अवस्थी, दीपक सक्सेना, शिवदयाल बागरी, दिनेश अहिरवार, अजय यादव, अरुणोदय चौबे, पारूल साहू रामनिवास रावत जैसे नाम भी शमिल है। इन नेताओं में कुछ राज्यसभा में जाने की हसरत पाले है तो कई खाली पड़े निगम मंडल, आयोग और बोर्ड में एडजस्ट होने की जुगत में है। मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा के समक्ष भाजपा की सदस्यता लेने वाले रामनिवास रावत का नाम तो मंत्री बनने वाले नेताओं के रूप में लिया जा रहा है। वहीं सुरेश पचौरी को भी भाजपा किसी सम्मानजनक पद से नवाज सकती है। इसके अलावा जिन नेताओ को राजनीतिक नियुक्तियां मिल सकती है उनमे चालीस सालो तक कमलनाथ के साथ रहे पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना का नाम भी शामिल है। इंदौर के संजय शुक्ला को संगठन में एडजस्ट किया जा सकता है। राज्यसभा की तीन सीटे दो साल बाद खाली हो रही है पर इनके लिए अभी से लाबिंग शुरू हो गई है। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह और सुमेर सिंह का कार्यकाल जून 2026 मे समाप्त हो रहा है। तीन में से दो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से भाजपा और दिग्विजय सिंह राजगढ़ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में है। ये दोनों नेता अगर चुनाव जीतते है तो उपचुनाव होना तय है। भाजपा में सिंधिया के लोकसभा में जाने पर पार्टी किस नेता को राज्यसभा भेजेगी इसे लेकर चर्चाओं का दौर अभी बागी से शुरू हो गया है। भाजपा सिंधिया की जीत तय मानकर चल रही है।