Mar 14, 2024, 09:36 IST

"पहल जोड़ने का, CAA कानून"

"पहल जोड़ने का, CAA कानून"

"पहल जोड़ने का, CAA कानून"

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। बाद में इस विधेयक को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल गया था। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी।


नए कानून में क्या प्रावधान हैं? 
नागरिकता अधिनियम में देशीयकरण द्वारा नागरिकता का प्रावधान किया गया है। आवेदक को पिछले 12 महीनों के दौरान और पिछले 14 वर्षों में से आखिरी साल 11 महीने भारत में रहना चाहिए। कानून में छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) और तीन देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान) से संबंधित व्यक्तियों के लिए 11 वर्ष की जगह छह वर्ष तक का समय है। 
 
कानून में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्डधारकों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

कानून की मुख्य बातें क्या हैं?

नागरिकता अधिनियम, 1955 यह बताता है कि कौन भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है और किस आधार पर। कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता-पिता भारतीय हों या कुछ समय से देश में रह रहे हों, आदि। हालांकि, अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है। अवैध प्रवासी वह विदेशी होता है जो: (i) पासपोर्ट और वीजा जैसे वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करता है, या (ii) वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश करता है, लेकिन अनुमत समय अवधि से अधिक समय तक रहता है। 

विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत अवैध प्रवासियों को कैद या निर्वासित किया जा सकता है। 1946 और 1920 अधिनियम केंद्र सरकार को भारत के भीतर विदेशियों के प्रवेश, निकास और निवास को विनियमित करने का अधिकार देते हैं। 2015 और 2016 में, केंद्र सरकार ने अवैध प्रवासियों के कुछ समूहों को 1946 और 1920 अधिनियमों के प्रावधानों से छूट देते हुए दो अधिसूचनाएं जारी की थीं। ये समूह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई हैं, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। इसका मतलब यह है कि अवैध प्रवासियों के इन समूहों को निर्वासित नहीं किया जाएगा। 

भले ही लोग नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे हैं, लेकिन असल में वह विरोध कर रहे हैं एनआरसी और सरकार का, बल्कि यूं कहिए कि प्रदर्शन कर रहे लोग कह रहे हैं कि नागरिकता संशोधन कानून में मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया गया है? उनका आरोप है कि ये सरकार मुस्लिमों की नागरिकता छीनना चाहती है. कहा जा रहा है कि मोदी सरकार एनआरसी से बाहर हुए हिंदुओं और अन्य धर्मों के लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता दे देगी, जबकि उसमें शामिल मुस्लिमों को देश से बाहर निकाल देगी.
लेकिन ऐसा कुछ नही है, अगर आप पूरे कानून को विस्तार से पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि कुछ लोग अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने या सरकार को नीचे दिखाने या rss को राष्ट्रीय पटल पे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।, बल्कि नागरिकता कानून , नागरिकता दिलवाने के कानून है न कि छीने का,

2016 के विधेयक में 11 वर्ष की शर्त को घटाकर 6 वर्ष किया गया था।
नए कानून में इसे घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया है।छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों को छूट देने का बिंदु भी पिछले विधेयक में नहीं था।अवैध प्रवास के संबंध में सभी कानूनी कार्यवाही बंद करने का प्रावधान भी नया है।

1947 में भारत और पाकिस्तान के धार्मिक आधार पर विभाजन का तर्क देते हुए सरकार ने कहा कि अविभाजित भारत में रहने वाले लाखों लोग भिन्न मतों को मानते हुए 1947 से पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे थे। विधेयक में कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का संविधान उन्हें विशिष्ट धार्मिक राज्य बनाता है। परिणामस्वरूप, इन देशों में हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समुदायों के बहुत से लोग धार्मिक आधार पर उत्पीड़न झेलते हैं।


इनमें से बहुत से लोग रोजमर्रा के जीवन में उत्पीड़न से डरते हैं। जहां उनका अपनी धार्मिक पद्धति, उसके पालन और आस्था रखना बाधित और वर्जित है। इनमें से बहुत से लोग भारत में शरण के लिए भाग आए और वे अब यहीं रहना चाहते हैं। यद्यपि उनके यात्रा दस्तावेजों की समय सीमा समाप्त हो चुकी है या वे अपूर्ण हैं अथवा उनके पास दस्तावेज नहीं हैं।

आप पूरे ACT को पढ़ेंगे तो इसमें ऐसा कहीं नही लिखा गया है कि भारत के नागरिक और यहाँ रह रहे लोगो को निकाल दिया जाएगा लेकिन कुछ गलत बोलने से हमे खुद समझना होगा और लोगों को समझाना होगा ।

Gautam Kumar Singh 
M.B.A/L.L.B
Advocate

Advertisement

Advertisement

Advertisement

Advertisement

Advertisement

Advertisement