विज्ञान भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा स्व.जयंतराव सहस्त्रबुद्धे के जन्मदिवस पर ’’भारत की ज्ञान विज्ञान परम्परा’’ पर व्याख्यान का आयोजन दिनांक 17 अप्रैल 2024 को राज्य पशुपालन प्रशिक्षण संस्थानसभागार, कुक्कुट भवन, वैशालीनगर, भोपाल में आयोजित किया गया ।
भारत की ज्ञान परंपरा प्राचीन और सशक्त रही है हड़प्पा की राखीगढ़ी साईट का शोध पूरे विश्व ने प्रामाणिक माना है और इसकी पूरी रिसाव भारत में ही की गई है । भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वयं की मेथोडोलॉजी विकसित कर राखिगडी पर शोध किया है । हमारी ज्ञान परंपरा सुदृढ़ होने के कारण ही हम इतनी प्रगति कर सके हैं । विश्व में प्रथम बार जूट, ऊन, सिल्क के उपयोग के प्रमाण भारत में ही मिले है । यह वक्तव्य रहे है इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध पुरातत्वविद, साउथ एशियन आर्केलाजी सोसायटी के संस्थापक एवं डेक्कन कालेज के पूर्व कुलपति डॉ. वसंत शिंदे के । डॉ. वसंत शिंदे हड़प्पा संस्कृति की राखीगढी साइट के डीएनए परीक्षण के लिये भी विश्व प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि भारतीयज्ञान विज्ञान परंपरा से ही सीखकर हम आगे बढ़ सकेंगे ।
इस कार्यक्रम में प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति के अध्यक्ष प्रो. रविन्द्ररामचन्द्र कान्हेरे विशिष्ट अतिथि थे , प्रो कन्हेरे ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत में बुनियादी शोध हेतु नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की गई है जिससे कि यहाँ की बुनियादी आवश्यकताओं को अद्यतन ज्ञान एवं भविष्य की माँग को देखते हुए शोध कार्य में सहायता मिलेगी ।उन्होंने कहा कि तकनीकी के क्षेत्र में शोध हेतु विदेशी फंडिंग भारत के हित न होकर विदेश के हित में होती है , उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि यूरोप एवं अमेरिका ने भारत को हमेशा द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी की तकनीक ही दी है किंतु हमने अपने ज्ञान विज्ञान एवं कौशल से विज्ञान के कहेत्र में अपना परचम विश्व में लहराया है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अशोक पाण्डेय,माननीय प्रांत संघचालक मध्यभारत प्रांत द्वारा की गई ।
इससे पूर्व कार्यक्रम की रूपरेखा एवं परिचय विज्ञान विज्ञान भारती के महासचिव प्रो सुधीर सिंह भदौरिया ने प्रस्तुत की । विज्ञान भारती भारत प्रांत के क्षेत्रीय संगठन सचिव श्री विवस्वान ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्व की आत्मा भारत है और पारंपरिक ज्ञान को विश्व पटल पर लाने का कार्य स्वामी विवेकानंद ने किया है ।
हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हम व्यक्ति सापेक्ष नहीं अपितु ध्येय सापेक्ष रहे हैं ।
विदित है कि स्व. जयंतराव सहस्त्रबुद्धे एक प्रसिद्ध चिंतक एवं दार्शनिक रहे हैं, जिन्होंने विज्ञान को एक स्वदेशी आंदोलन के रूप में आमजन तक विज्ञान की पहुंच पर अपने अंतिम समय तक कार्य किया । उनकी स्मृति में यह व्याख्यानमाला आयोजित की गई । श्री सहस्त्रबुद्धे द्वारा रचित पुस्तक ‘’भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीयवैज्ञानिकों का योगदान‘’ एवं इस पर उनके व्याख्यान पूरे देश में चर्चित रहे हैं।
विज्ञान भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा स्व.जयंतराव सहस्त्रबुद्धे के जन्मदिवस पर ’’भारत की ज्ञान विज्ञान परम्परा’’ पर व्याख्यान का आयोजन दिनांक 17 अप्रैल 2024 को राज्य पशुपालन प्रशिक्षण संस्थानसभागार, कुक्कुट भवन, वैशालीनगर, भोपाल में आयोजित किया गया ।
भारत की ज्ञान परंपरा प्राचीन और सशक्त रही है हड़प्पा की राखीगढ़ी साईट का शोध पूरे विश्व ने प्रामाणिक माना है और इसकी पूरी रिसाव भारत में ही की गई है । भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वयं की मेथोडोलॉजी विकसित कर राखिगडी पर शोध किया है । हमारी ज्ञान परंपरा सुदृढ़ होने के कारण ही हम इतनी प्रगति कर सके हैं । विश्व में प्रथम बार जूट, ऊन, सिल्क के उपयोग के प्रमाण भारत में ही मिले है । यह वक्तव्य रहे है इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध पुरातत्वविद, साउथ एशियन आर्केलाजी सोसायटी के संस्थापक एवं डेक्कन कालेज के पूर्व कुलपति डॉ. वसंत शिंदे के । डॉ. वसंत शिंदे हड़प्पा संस्कृति की राखीगढी साइट के डीएनए परीक्षण के लिये भी विश्व प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि भारतीयज्ञान विज्ञान परंपरा से ही सीखकर हम आगे बढ़ सकेंगे ।
इस कार्यक्रम में प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति के अध्यक्ष प्रो. रविन्द्ररामचन्द्र कान्हेरे विशिष्ट अतिथि थे , प्रो कन्हेरे ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत में बुनियादी शोध हेतु नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की गई है जिससे कि यहाँ की बुनियादी आवश्यकताओं को अद्यतन ज्ञान एवं भविष्य की माँग को देखते हुए शोध कार्य में सहायता मिलेगी ।उन्होंने कहा कि तकनीकी के क्षेत्र में शोध हेतु विदेशी फंडिंग भारत के हित न होकर विदेश के हित में होती है , उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि यूरोप एवं अमेरिका ने भारत को हमेशा द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी की तकनीक ही दी है किंतु हमने अपने ज्ञान विज्ञान एवं कौशल से विज्ञान के कहेत्र में अपना परचम विश्व में लहराया है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अशोक पाण्डेय,माननीय प्रांत संघचालक मध्यभारत प्रांत द्वारा की गई ।
इससे पूर्व कार्यक्रम की रूपरेखा एवं परिचय विज्ञान विज्ञान भारती के महासचिव प्रो सुधीर सिंह भदौरिया ने प्रस्तुत की । विज्ञान भारती भारत प्रांत के क्षेत्रीय संगठन सचिव श्री विवस्वान ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्व की आत्मा भारत है और पारंपरिक ज्ञान को विश्व पटल पर लाने का कार्य स्वामी विवेकानंद ने किया है ।
हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हम व्यक्ति सापेक्ष नहीं अपितु ध्येय सापेक्ष रहे हैं ।
विदित है कि स्व. जयंतराव सहस्त्रबुद्धे एक प्रसिद्ध चिंतक एवं दार्शनिक रहे हैं, जिन्होंने विज्ञान को एक स्वदेशी आंदोलन के रूप में आमजन तक विज्ञान की पहुंच पर अपने अंतिम समय तक कार्य किया । उनकी स्मृति में यह व्याख्यानमाला आयोजित की गई । श्री सहस्त्रबुद्धे द्वारा रचित पुस्तक ‘’भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीयवैज्ञानिकों का योगदान‘’ एवं इस पर उनके व्याख्यान पूरे देश में चर्चित रहे हैं।
इस कार्यक्रम में विज्ञान भारती मध्यभारतप्रांत के सदस्य, समाज के प्रबुद्ध नागरिकों, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शोध एवं राष्ट्रीय संस्थानों के निदेशक, महानिदेशक, गणमान्यव्यक्ति, शिक्षकों,प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया ।