मरीज का विश्वास जीतना, मानवता की सेवा ही है डॉक्टर्स विरेन्द्र पटेल
आज के दौर में समाज के हर वर्ग में व्यवसायिकता हावी हो रही है। बावजूद इसके अभी भी अधिकांश चिकित्सक मानवता की सेवा को ही लक्ष्य मानकर चलते हैं। मरीज और डॉक्टर के बीच का रिश्ता काफी नाजुक भी होता है। पर यह उसके साथ विश्वास की मजबूती रहती है। यही वजह है अभी भी मरीज और उसके परिजन चिकित्सकों को भगवान का दर्जा देते हैं। ऐसे ही डॉक्टरों के सम्मान में पूरे भारत में 1 जुलाई को ‘डॉक्टर्स-डे’ मनाया जाता है।
डॉ वीरेंद्र पटेल का कहना है कि, कभी मरीजों के परिजनों का गुस्सा, कभी संसाधनों का अभाव सहित कई विपरीत परिस्थितियों में डॉक्टर काम करते हैं। इसके बाद भी डॉक्टर्स का पहला लक्ष्य होता है, मरीज की जान बचाना। जिसके लिए वे पूरी निष्ठा से काम करते हैं। मरीज और डॉक्टर के बीच रिश्ते, डॉक्टरों को लेकर समाज की सोच सहित विषयों पर कई डॉक्टरों से चर्चा की गई। जिसमें उन्होंने अपनी बेबाक राय रखी।
मरीजों का विश्वास बड़ा ईनाम.....
डॉक्टर विरेन्द्र पटेल ने कहा कि मरीज और डॉक्टर का रिश्ता विश्वास पर ही टिका होता है। यही विश्वास एक डॉक्टर के लिए बड़ा ईनाम होता है। उन्होंने कहा कि विशेषकर बड़े शहरों में कई चिकित्सक व्यवसायिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं। कुछ चिकित्सकों में आ रही अति व्यव सायिकता की वजह से समाज और चिकित्सकों के बीच की दूरी कुछ कम जरूर हुई है। इन सबके बावजूद भी अन्य प्रोफेशन की तुलना में चिकित्सा व्यवसाय में मानवता की सेवा की भावना अभी भी जीवित है।
मरीज के भरोसे से मिलती है ताकत.....
डॉ. विरेन्द्र पटेल का मानना है कि मरीज पूरे विश्वास के साथ उपचार कराने डॉक्टर के पास आते हैं। डॉक्टर भी प्रयास करते हैं कि वह मरीज और उनके परिजनों के विश्वास में खरा उतरे। मरीजों का यह भरोसा डॉक्टर्स को नई ताकत देती है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर और मरीज के बीच का रिश्ता बेहद नाजुक होता है। इसके बावजूद व विश्वास के मजबूत बंधन में बंधा रहता है। उन्होंने कहा कि भले ही आज के समय में चिकित्सा व्यवसाय का रूप ले रहा है, लेकिन चिकित्सक के लिए सबसे पहले मानवीय सेवा का ही लक्ष्य रहता है।
सेवा से मिलती है संतुष्टि........
डाॅ. पटेल का कहना है कि जब इलाज और सेवा से मरीज ठीक होते हैं, तो उन्हें आत्मिक संतुष्टि मिलती है। इस संतुष्टि को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि शासकीय सेवा में होने के कारण चिकित्सकों के सामने भी कई बार विपरीत परिस्थितियां आ जाती हैं। पर उससे वे विचलित नहीं होते। बल्कि उनका एक ही ध्येय होता है। उनके उपचार से मरीज ठीक हों और मरीज का भरोसा उन पर कायम रहे। एक डॉक्टर के नाते उनका यही कर्तव्य भी है। जब मरीज अच्छा होकर दुआ देता है, तो यह उनके लिए सबसे संतोषजनक बात होती है।