भोपाल | श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस कथा सुनाते हुए कथा वाचक रमाकांत जी महाराज ने बताया कि सृष्टि निर्माण की कथा में मनु शतरूपा के वंश में दो पुत्र उत्तानपाद और प्रियव्रत और तीन पुत्रियां अक्रूती, देवहूति और प्रस्तुति के जन्म की कथा बड़े विस्तार से कहीं गई। आज कथा में अयोध्या में महाराज दशरथ और कौशल्या के आंगन में भगवान श्री राम जी का जन्म नोमी तिथि चैत्र मास में भगवान प्रकट हुए। श्री राम जी का जन्म उत्सव बड़े ही धूमधाम से कथा पंडाल में मनाया गया। बधाई गीत गाए।
जिस देश में माँ सीता की रक्षा के लिए भगवान राम वानर की सेना लेकर पहुंच गए थे रावण का वध करने के लिए और महाभारत का युद्ध भी एक नारी की आत्मसम्मान के लिए हुआ था उस देश में आज के समय में सारा समाज गलत रास्ते पर चल रहा है। अगर ऐसे ही समाज गलत रास्ते पर चलता रहा तो इस समाज का नाश होना निश्चित है । इसलिए कहते है कि आप धर्म की रक्षा करोगें तो धर्म भी आपकी रक्षा करेगा।
वो हर एक व्यक्ति धन्यवाद के पात्र हैं जो भगवान की कथा सुनने में और सुनवाने में अपना सहयोग करते हैं । सनातन को आगे बढ़ाने, जानने की इच्छा जिसके मन में होती है उनसे श्रेष्ठ कोई और नहीं हो सकता।
हम राम के हैं और हम राम के ही रहेंगे।
सत्कर्म कभी भी रुकना नहीं चाहिए क्योंकि सत्कर्म ही मानव जीवन का पालक है। यज्ञ, तप और सत्संग से भगवान प्रसन्न होते हैं। शराबियों के घर की औरतें भी भगवान की पूजा और व्रत कर रही हैं और उन्हीं के कारण यह पृथ्वी टिकी हुई है।
मनुष्य को अपने अंदर के अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है और वह ज्ञान मनुष्य को कथा से प्राप्त होता है। धर्म मनुष्य से कहता है कि जो कर्म करने योग्य हो वही करने चाहिए और जो करने योग्य नहीं है वो कभी नहीं करने चाहिए। लेकिन कलयुग का मनुष्य वही करता है जो मन में आता है। बुरा करने से मनुष्य के साथ बुरा ही होता है इसलिए मनुष्य को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह बुरी संगति में ना पड़े।
मनुष्य अपना जीवन केवल कमाने में बिता देता है। माता पिता और गुरु को भगवान के समान माना गया है। हमारा धर्म कहता है जो भी माता पिता की आज्ञा का पालन करता है ऐसा करने पर जीवन सभी दुःख नष्ट हो जायेंगे और सुख जीवन में प्रवेश करेगा। मनुष्य के जीवन में तीन लोग ऐसे होते है जो कभी हमारा बुरा नहीं करेंगे माँ, पिता और गुरु ।
इस संसार में केवल एक ही धर्म है वो है सनातन धर्म। सभी मानव सनातन धर्म के अंश है लेकिन कुछ लोग यह मानने से इनकार करते हैं। और हम सब भाग्यशाली हैं। जो हमें सनातन धर्म में जन्म मिला है। भागवत का एक-एक शब्द सत्य है क्योंकि भागवत स्वयं भगवान के मुख से निकली है।
पूज्य महाराज श्री ने आगे कहा- जो मां-बाप को अनसुना व अनदेखा करता है, 'मैं शरीर हूं' ये सोचता है, बिना किसी को खिलाए खालेता है ऐसा व्यक्ति नर्क में जाता है। ऐसे तमाम कर्म है जिनके कारण व्यक्ति नर्क में जाता है। आगे पूज्य महाराज श्री ने भक्तगणों को नर्कों से कैसे बचा जाए, इसके बारे में उपाय बताया- तीन चीज़ों पर नियंत्रण रखें कान, आंख और वाणी। आज के समय में यह तीनों ही बिगड़ी हुईं है और यदि आपने इन पर नियंत्रण कर लिया तो नर्क में जाने से बच जाओगे। कानों से वो मत सुनो जो सुनने लायक नहीं है, आंखों से वो मत देखो जो देखने लायक नहीं है और वाणी से वो मत बोलो जो तुम्हारे बोलने लायक नहीं है। यह कार्य सुनने में भले ही आसान है लेकिन करने में मुश्किल है।
कथा के मध्य पूज्य महाराज श्री ने माताओं व बहनों के लिए एक खास संदेश दिया और कहा- ध्यान रखें कभी-कभी अपने पति से ज़रुर पूछें कि कुछ ऐसा काम तो नहीं करते मेरी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए जिसके कारण तुम्हें नर्क में जाना पड़े। अपने पति से यह कहो- कि चाहे कम कमाके लाना लेकिन ऐसी कमाई मत करना जो तुम्हे और मुझे दोनों को नर्क ले जाए।
कथा के चतुर्थ दिवस पर श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूम-धाम व हर्षो-उल्लास के साथ मनाया गया, जिसका परम आनंद सभी भक्तगणों ने प्राप्त किया।