
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश योगनगरी होने के साथ ही भगवान विष्णु की नगरी भी है. वैसे तो ऋषिकेश में सभी तीज त्योहारों और व्रत पर मंदिरों के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है, लेकिन एकादशी के दिन ये नजारा कुछ अलग होता है. एकादशी के दिन ऋषिकेश के भरत मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ दिखाई देती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 मार्च को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2024) का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए ऋषिकेश के भरत मंदिर आते हैं ताकि उन्हें विजय और समृद्धि प्राप्त हो.
श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी बताते हैं कि विजया एकादशी, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान विष्णु की पूजा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्ति और व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की कामना करता है. लोग इस दिन सुबह से रात तक विष्णु जी की पूजा और कथा सुनते हैं, जो उन्हें भक्ति में लीन करता है. उपवास और ध्यान के माध्यम से मन को शुद्धि मिलती है और जीवन में समर्थन और सफलता की कामना होती है.
विजया एकादशी व्रत की टाइमिंग
पुजारी शुभम बताते हैं कि विजया एकादशी एक धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सहजता का प्रतीक है, जो लोगों को आपसी समरसता और उत्कृष्टता की दिशा में मार्गदर्शन करता है. पंचांग के अनुसार, इस साल विजया एकादशी व्रत की शुरुआत 06 मार्च को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से होगा और 07 मार्च को सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर इस व्रत का समापन होगा.
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
वे बताते हैं कि इस दिन प्रातः उठकर गंगाजल से स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनने चाहिए. उसके बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें और लाल रंग का कपड़ा बिछाकर कर उसपे भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. जिसके बाद दीया जलाकर भगवान विष्णु को पीले फूल चढ़ाए और उनकी कथा पड़े. जिसके बाद भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं.