नरवाई जलाने की अपेक्षा अवशेषों और डंठलों को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो वे स्वयं का जैविक खाद बना सकते हैं
नरवाई जलाने की अपेक्षा अवशेषों और डंठलों को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो वे बहुत जल्दी सड़कर पोषक तत्वों से भरपूर स्वयं का जैविक खाद बना सकते हैं। उप संचालक कृषि श्री एनपी सुमन ने बताया कि खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि की सहायता से फसल अवशेष भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश खाद की बचत की जा सकती है। साथ ही पशुओं के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगड़ने से बचाया जा सकता है। कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मेनेजमेंट सिस्टम को सामान्य हार्वेस्टर से गेहूं कटवाने के स्थान पर स्ट्रारीपर एवं हार्वेस्टर का प्रयोग करें। खेत में कृषि अपशिष्टों को जलाने से होती है कई हानियां खेत में गेहूं एवं अन्य फसलों के कृषि अपशिष्टों को जलाने से भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है। भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है। सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है। भूमि की ऊपरी पर्त में ही पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते है। आग लगाने के कारण पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम होने से फसलें सूखती है। खेत की सीमा पर लगे पेड़ पौधे (फल, वृक्ष आदि) जलकर नष्ट हो जाते है। पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है। कार्बन से नाईट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। केंचुए नष्ट हो जाते हैं। इस कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। नरवाई जलाने से जन धन की हानि होती है।