विवेक झा, नई दिल्ली/भोपाल। निजी बैंकों में बढ़ते संकट, विदेशी निवेशकों के बढ़ते दखल और कर्मचारियों के शोषण के खिलाफ ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBEA) ने बुधवार को संसद मार्ग स्थित जंतर-मंतर पर दिनभर का देशव्यापी धरना आयोजित किया। इस धरने में देशभर से पहुंचे बैंक कर्मचारी शामिल हुए। कई केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, सांसदों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर समर्थन जताया।
AIBEA के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने कहा कि देश के निजी बैंकों में जमा 85 लाख करोड़ रुपये की बचत आम जनता की कमाई है, जिसे विदेशी निवेश के नाम पर जोखिम में नहीं डाला जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लगातार इन बैंकों में विदेशी कंपनियों के नियंत्रण को बढ़ावा दे रही है, जिससे जमा धन का इस्तेमाल मुनाफाखोरी और सट्टेबाज़ी के लिए होने का खतरा है।

विदेशी कंपनियों के हाथों में जा रहे हैं निजी बैंक
AIBEA की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, हाल के वर्षों में कई निजी बैंकों में विदेशी पूंजी ने प्रमुख हिस्सेदारी हासिल कर ली है। उदाहरण के लिए:
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कैथोलिक सीरियन बैंक (CSB बैंक)—कनाडा की Fairfax कंपनी द्वारा अधिग्रहित
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लक्ष्मी विलास बैंक—सिंगापुर की DBS बैंक को बेचा गया
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यस बैंक—जापान की SMBC ने 13,500 करोड़ रुपये का निवेश कर सबसे बड़ा शेयरधारक बना
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RBL बैंक—दुबई स्थित Emirates NBD का 26,000 करोड़ रुपये का निवेश
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IDFC बैंक—न्यूयॉर्क की Blackstone द्वारा 6,200 करोड़ का निवेश
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फेडरल बैंक—Warburg Pincus और ADIA ने 7,500 करोड़ का निवेश कर हिस्सेदारी खरीदी
AIBEA का आरोप है कि यदि यही रफ्तार जारी रही, तो निजी बैंक विदेशी कंपनियों के नियंत्रण में चले जाएंगे और देश की जनता की जमा पूंजी उनके व्यावसायिक हितों के लिए उपयोग की जाएगी।
कर्मचारियों का शोषण, वेतन न बढ़ने और अवकाश नियमों में भेदभाव का आरोप
AIBEA ने निजी बैंकों में कर्मचारियों की स्थिति को “चिंताजनक” बताया। संगठन ने कहा:
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स्थायी भर्ती लगभग बंद है
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ज्यादातर कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट और CTC मॉडल में रखा जाता है
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कार्य समय तय नहीं, नौकरी की स्थिरता नहीं
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ट्रेड यूनियन गतिविधियों में हिस्सा लेने पर फेडरल बैंक में नेताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है
इसके अलावा, सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2022 से लागू अतिरिक्त एक्स-ग्रेशिया पेंशन निजी बैंक प्रबंधन देने से इंकार कर रहे हैं।

तामिलनाड मर्केंटाइल बैंक और CSB बैंक पर गंभीर सवाल
AIBEA ने कुछ निजी बैंकों की कार्यप्रणाली पर विशेष चिंता जताई।
तामिलनाड मर्केंटाइल बैंक
जबकि देशभर के सभी बैंकों में सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष है, TMB कर्मचारियों को 58 वर्ष में रिटायर कर रहा है। AIBEA ने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए तुरंत सुधार की मांग की।
CSB बैंक (कैथोलिक सीरियन बैंक)
देशभर के बैंकों पर लागू उद्योग-स्तर वेतन समझौता होने के बावजूद इस बैंक ने 2017 के बाद वेतन संशोधन नहीं किया, जिससे कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है।

नैनीताल बैंक के निजीकरण का विरोध
AIBEA ने बताया कि नैनीताल बैंक, जो बैंक ऑफ बड़ौदा की निजी सहायक इकाई है, उसे किसी कॉरपोरेट कंपनी को बेचे जाने की तैयारी है। संगठन ने जोर देकर कहा कि इस बैंक को बेचने के बजाय बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय किया जाए।
“जनता की बचत सुरक्षित रखने का एकमात्र रास्ता—राष्ट्रीयकरण”
AIBEA के मुताबिक, जब तक निजी बैंकों को सार्वजनिक क्षेत्र में नहीं लाया जाता, तब तक कर्मचारियों का शोषण और जमाकर्ताओं की सुरक्षा दोनों खतरे में बने रहेंगे। संगठन ने मांग की कि—
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सभी निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए
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कर्मचारियों और पेंशनरों की समस्याओं का समाधान हो
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वेतन संशोधन, नौकरी सुरक्षा और यूनियन अधिकार सुनिश्चित किए जाएं
देशभर से शामिल हुए कर्मचारी, कई संगठनों का समर्थन
धरने में AITUC सहित केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, कई राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता और सांसद शामिल हुए। वेंकटाचलम ने बताया कि यह आंदोलन आगे और तेज़ किया जाएगा, ताकि सरकार निजी बैंकों से जुड़ी नीतियों पर पुनर्विचार करे।
