विवेक झा, भोपाल। बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के प्रस्ताव के खिलाफ बैंक और बीमा कर्मियों ने गुरुवार को देशभर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज़ एसोसिएशन (AIBEA), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (AIBOC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉईज़ (NCBE), ऑल इंडिया इंश्योरेंस एम्प्लॉईज़ एसोसिएशन (AIIEA), AILICEF, GIEAIA, AIBOA, BEFI सहित बैंक–बीमा कर्मियों की विभिन्न ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर यह प्रदर्शन आयोजित किए गए।
इसी क्रम में राजधानी भोपाल में गुरुवार शाम 5:30 बजे भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के मध्य क्षेत्रीय कार्यालय, होशंगाबाद रोड के सामने सैकड़ों बैंक और बीमा कर्मचारी–अधिकारी एकत्रित हुए और एफडीआई के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए प्रभावी प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के पश्चात एक सभा का आयोजन भी किया गया।

‘सबका बीमा, सबकी रक्षा’ के नाम पर जनता को गुमराह करने का आरोप
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 16 दिसंबर 2025 को लोकसभा में पेश किया गया बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2025, जिसका नाम “सबका बीमा सबकी रक्षा” रखा गया है, वास्तव में जनता के हितों को कमजोर करता है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक बीमा अधिनियम 1938, एलआईसी अधिनियम 1956 और आईआरडीएआई अधिनियम 1999 में संशोधन का प्रस्ताव करता है, लेकिन इसके पीछे असली उद्देश्य भारत की कीमती घरेलू बचत को विदेशी पूंजीपतियों के नियंत्रण में देना है।
FDI 100% करने से न जनता को लाभ, न अर्थव्यवस्था को
वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई की मौजूदा सीमा 74% पहले से ही पर्याप्त है।
उन्होंने बताया कि वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा 3 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में दिए गए उत्तर के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक बीमा उद्योग में विदेशी इक्विटी निवेश केवल 31,365.57 करोड़ रुपये था, जो 74% की सीमा के मुकाबले मात्र 32.67% है।
वक्ताओं ने कहा कि जब मौजूदा सीमा का भी पूरा उपयोग नहीं हो रहा है, तो उसे बढ़ाकर 100% करना पूरी तरह अनुचित है। इससे न तो बीमा कवरेज बढ़ेगा और न ही आम पॉलिसीधारकों को कोई अतिरिक्त लाभ मिलेगा।

घरेलू कंपनियों और कमजोर वर्गों पर पड़ेगा बुरा असर
सभा में कहा गया कि एफडीआई को 100% करने से विदेशी कंपनियां उच्च लाभ वाले ग्राहकों और कारोबार पर ही ध्यान देंगी। इससे
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निम्न व मध्यम आय वर्ग
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ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले तबके
की बीमा जरूरतें उपेक्षित रह जाएंगी।
साथ ही, यदि विदेशी साझेदार संयुक्त उपक्रमों से अलग होकर स्वतंत्र रूप से काम करने लगते हैं, तो इससे घरेलू बीमा कंपनियों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
‘घरेलू बचत पर विदेशी नियंत्रण अस्वीकार्य’
वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू बचत रीढ़ की हड्डी होती है। एक कल्याणकारी राज्य के रूप में भारत को इन बचतों पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए।
वर्तमान वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, टैरिफ युद्धों और पूंजी के बहिर्वाह की स्थिति में विदेशी निवेश को असीमित छूट देना देशहित में नहीं है।
आंदोलन तेज करने की चेतावनी
सभा के अंत में बैंक–बीमा कर्मियों ने केंद्र सरकार से मांग की कि बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई की सीमा को तुरंत वापस लिया जाए।
वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस जनविरोधी निर्णय को वापस नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
सभा को इन पदाधिकारियों ने किया संबोधित
सभा को प्रदर्शन एवं सभा में विभिन्न बैंकों और बीमा के कर्मचारी अधिकारी नेतासाथी वी के शर्मा, संजय मिश्रा, दीपक रत्न शर्मा, निर्भय सिंह ठाकुर, पूषण भट्टाचार्य, अजय गुप्ता, दिनेश झा, भगवान स्वरूप कुशवाहा, नजीर कुरैशी, गुणशेखरन, विशाल धमेजा, देवेंद्र खरे, वैभव गुप्ता, मनीष भार्गव, दीपक शुक्ला, श्रीपाद घोटनकर, राजेश जायसवाल,जीत सिंह नागर, रमित दीवान, बृजेंद्र सिंह, सुनील शिवानी,पंकज सिंह,ओ पी डोंगरीवाल, संदीप बेलेकर, रामकुमार दुबे, राकेश शर्मा,अशोक पंचोली, किशन खेराजानी, प्रदीप कटारिया, अवध वर्मा,रमेश सिंह, राजीव उपाध्याय, अमित प्रजापति, देवीदास अहिरवार, किशोर सिंह, चंदेले, प्रशांत रघुवंशी, विशाल जैन,सत्य प्रकाश मीणा,राशि सक्सेना, शिवानी शर्मा,राम चौरसिया, राज भारती,के वासुदेव सिंह, मनीष यादव, डी के सिंह, दिनेश सूर्यवंशी,मनोज गढ़वाल, हरीश शर्मा, मोहन मालवीय, मनासय, महेंद्र गुप्ता,सत्येंद्र चौरसिया ,सुदेश कल्याणे, अजय धारीवाल, लीला किशन, शैलेंद्र नरवरे, इमरत रायकवार सहित अनेक बैंक–बीमा कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया।
प्रदर्शन और सभा में विभिन्न बैंकों और बीमा संस्थानों के बड़ी संख्या में कर्मचारी–अधिकारी उपस्थित रहे।
एटक ने बीमा संशोधन विधेयक 2025 को बताया जनविरोधी व राष्ट्रहित के खिलाफ, तत्काल वापसी की मांग
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत किए जाने के खिलाफ आंदोलनरत बैंक और बीमा क्षेत्र की ट्रेड यूनियनों के साथ अडिग एकजुटता व्यक्त की है। एटक ने संसद से पारित “सबका बीमा, सबकी रक्षा (बीमा कानूनों का संशोधन) विधेयक, 2025” की कड़ी निंदा करते हुए इसे राष्ट्र-विरोधी और जन-विरोधी करार दिया है।
एटक महासचिव अमरजीत कौर ने जारी बयान में कहा कि बीमा क्षेत्र राष्ट्रीय बचत, दीर्घकालिक निवेश और सामाजिक सुरक्षा का एक रणनीतिक स्तंभ है। ऐसे क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी स्वामित्व की अनुमति देना भारत की घरेलू बचत को वैश्विक पूंजी की मुनाफाखोरी और सट्टेबाज़ी के हवाले करने जैसा है। यह कदम देश की आर्थिक संप्रभुता से पीछे हटने के समान है।
एटक ने स्पष्ट किया कि पूर्व में बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाने से न तो बीमा की पहुंच बढ़ी और न ही आम जनता को कोई लाभ मिला, बल्कि निजी और विदेशी कंपनियों को ही फायदा हुआ। संगठन ने इसे नव-उदारवादी नीतियों का हिस्सा बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य सार्वजनिक संस्थानों को कमजोर करना और संगठित श्रम को नुकसान पहुंचाना है।
एटक ने केंद्र सरकार से बीमा संशोधन विधेयक 2025 को तत्काल वापस लेने की मांग की है। साथ ही देशभर के श्रमिकों, लोकतांत्रिक शक्तियों और आम जनता से बैंक और बीमा कर्मचारियों के संघर्ष को समर्थन देने की अपील की है। एटक ने चेतावनी दी कि यदि यह जनविरोधी नीति वापस नहीं ली गई, तो विरोध और तेज किया जाएगा।
