जनजातीय क्षेत्रों के किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिये औषधीय खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिये देवारण्य योजना शुरू की गई है। योजना में किसानों को प्रशिक्षण दिये जाने की भी व्यवस्था है। आयुर्वेद का महत्व हम सभी को कोरोना महामारी के दौरान पता चला, जब एलोपैथी भी काम नहीं आई और आयुर्वेद से लोग स्वस्थ हुए। कोरोना महामारी में आयुर्वेदिक त्रिकटु चूर्ण एवं आरोग्य कसायाम का उपयोग करते हुए लोगों के मनोबल को बढ़ाया और उन्हें स्वस्थ किया। हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिये औषधीय पौधों की पहचान और उसके उपयोग के बारे में जानकारी होना चाहिये।
आयुर्वेद औषधियों की पैकेजिंग में और सुधार की आवश्यकता है। नई टेक्नालॉजी से पैकेजिंग में सुधार किया जा सकता है।आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्र के रूप में तेजी से मध्यप्रदेश उभर रहा है। राज्य में औषधीय पौधों की बहुतायत है और जैव-विविधता से समृद्ध है। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में इन औषधीय महत्व की वनस्पति का पारम्परिक ज्ञान रखने वाली जनजातियाँ निवास करती हैं। आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान एवं आयुर्वेद दवाओं के निर्माण और प्र-संस्करण के लिए भी मध्यप्रदेश ने विशिष्ट स्थान बनाया है।